Puliyabaazi

श्रृंगार रस की भाषा। Love Poetry in Sanskrit ft. Anusha Rao & Suhas Mahesh

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Sinopsis

प्रिय श्रोतागण,आज 249वी पुलियाबाज़ी पर एक अनूठे विषय पर चर्चा प्रस्तुत है। हम ने लोकनीति, टेक्नोलॉजी और सांस्कृतिक विषयों पर काफ़ी बातचीत की है, लेकिन किसी भी भाषा के साहित्य पर बहुत ज़्यादा चर्चा नहीं हुई है।  अमित बसोले जी के साथ भक्ति मार्ग के विषय पर बात करते वक़्त कुछ भक्ति काव्य की बात हुई थी, पर उस चर्चा में मुख्य विषय अलग था। आज की चर्चा का विषय अनूठा है क्योंकि हम ऐसे दो विषयों पर बात करेंगे जिन पर आम तौर पर पुलियाबाज़ी पर चर्चा नहीं होती—प्रेम कविता और संस्कृत! चौंक गए ना? अक्सर, हम भारत की प्राचीन भाषाओं जैसे संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश के बारे में कई धारणाएँ रखते हैं। हम संस्कृत को शास्त्रों की भाषा मानते हैं, पर यह भूल जाते हैं कि संस्कृत साहित्य में सभी रसों का राजा श्रृंगार है, जो प्रेम का रस है। हम अक्सर अतीत में लोगों के मानदंडों के बारे में धारणाओं से ग्रस्त होते हैं, तो हमने सोचा क्यों न दो संस्कृत के जानकारों से बात की जाए और उनसे ही समझा जाये हमारी प्राचीन भाषाओं और उनमें लिखे गए साहित्य के बारे में? कौन थे वो कवी जो इस साहित्य को लिख रहे थे, कहाँ पर इन कविताओं को पढ़ा जा रहा था? क्या इन प्रेम